नोद्वहेत्कपिलां कन्यां नाधिकाङ्गीं न रोगिणीम् । नालोमिकां नातिलोमां न वाचाटां न पिङ्गलाम् ।

विवाह में त्याज्य कन्याएं

पीले वर्ण वाली अधिक अंगवाली जैसी छंगुली आदि रोगवती जिस के शरीर पर कुछ भी लोम न हों जिसके शरीर पर बड़े – बड़े लोम हों व्यर्थ अधिक बोलने हारी जिसके पीले बिल्ली के सदृश नेत्र हों, तथा जिस कन्या का ऋक्ष – नक्षत्र पर नाम अर्थात् रेवती रोहिणी इत्यादि, नदी – जिसका गंगा, यमुना इत्यादि पर्वत – जिसका विंध्याचला इत्यादि पक्षी अर्थात् कोकिला, हंसा इत्यादि, अहि अर्थात् उरगा, भोगिनी इत्यादि, प्रेष्य – दासी इत्यादि और जिस कन्या का कालिका, चंडिका इत्यादि नाम हो उससे विवाह न करे ।

(सं० वि० विवाह सं०)

(वृक्ष) तुलसिया, गेंदा, गुलाबा, चंपा, चमेली आदि वृक्ष नाम वाली ।

(स० प्र० चतुर्थ समु०)

न पीले वर्ण वाली, न अधिकांगी अर्थात् पुरूष से लम्बी – चैड़ी अधिक बलवाली, न – रोगयुक्ता, न लोमरहिता न बहुत लोमवाली न बकवाद करने हारी और भूरे नेत्र वाली, न ऋक्ष अर्थात् अश्विनी, भरणी, रोहिणीदेई, रेवतीबाई चित्तारि आदि नक्षत्र नाम वाली; तुलसिया, गेंदा, गुलाबा, चंपा, चमेली आदि वृक्ष नाम वाली; गंगा, जमना आदि नदी नाम वाली; चांडाली आदि अन्त्य नाम वाली; विन्ध्या, हिमालया, पार्वती आदि पर्वत नाम वाली; कोकिला, मैना आदि पक्षी नाम वाली; नागी, भुजंगा आदि सर्प नाम वाली; माधोदासी, मीरादासी आदि प्रेष्य नाम वाली और भीमकुंअरि, चण्डिका, काली आदि भीषण नाम वाली कन्या के साथ विवाह न करना चाहिए । क्यों कि ये नाम कुत्सित तथा अन्य पदार्थों के भी हैं ।

(स० प्र० चतुर्थ समु०)

विवाहयोग्य कन्या –

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