पञ्चैतान्यो महाअयज्ञान्न हापयति शक्तितः । स गृहेऽपि वसन्नित्यं सूनादोषैर्न लिप्यते ।

जो इन पाँच महायज्ञों को यथाशक्ति नहीं छोड़ता वह घर में रहता हुआ भी प्रतिदिन चुल्ली आदि में हुए हिंसा के दोषों से लिप्त नहीं होता (यतो हि यज्ञों के पुण्यों से उनका शमन होता रहता है )

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