जिस कुल में नारियों की पूजा अर्थात् सत्कार होता है उस कुल में दिव्य गुण – दिव्य भोग और उत्तम सन्तान होते हैं और जिस कुल में स्त्रियों की पूजा नहीं होती है वहां जानो उनकी सब क्रिया निष्फल हैं ।
(सं० वि० गृहाश्रम)
‘‘जिस घर में स्त्रियों का सत्कार होता है उसमें विद्यायुक्त पुरूष होके, देवसंज्ञा धरा के आनन्द से क्रीडा करते हैं और जिस घर में स्त्रियों का सत्कार नहीं होता वहां सब क्रिया निष्फल हैं ।’’
(स० प्र० चतुर्थ समु०)