निन्द्यास्वष्टासु चान्यासु स्त्रियो रात्रिषु वर्जयन् । ब्रह्मचार्येव भवति यत्र तत्राश्रमे वसन् । । ३.

जो पूर्व निन्दित आठ रात्रि कह आये हैं उनमें जो स्त्री का संग छोड देता है वह गृहाश्रम में बसता हुआ भी ब्रह्मचारी  ही कहाता है ।

(सं० वि० गर्भाधान सं०

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