इतरेषु तु शिष्टेषु नृशंसानृतवादिनः । जायन्ते दुर्विवाहेषु ब्रह्मधर्मद्विषः सुताः ।

. चार विवाहों से जो बाकी रहे चार – आसुर, गान्धर्व, राक्षस और पैशाच, इन चार दुष्ट विवाहों से उत्पन्न हुए सन्तान निन्दित कर्मकत्र्ता, मिथ्यावादी वेदधर्म के द्वेषी बड़े नीच स्वभाव वाले होते हैं ।

(सं० वि० विवाह सं०)

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