गुरुणानुमतः स्नात्वा समावृत्तो यथाविधि । उद्वहेत द्विजो भार्यां सवर्णां लक्षणान्विताम् ।

गुरू की आज्ञा से विवाह

. यथावत् उत्तम रीति से ब्रह्मचर्य और विद्या को ग्रहण कर गुरू की आज्ञा से स्नान करके ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य अपने वर्ण की उत्तम लक्षण युक्त स्त्री से विवाह करे ।

(सं० वि० विवाह सं०)

‘‘गुरू की आज्ञा से स्नान कर गुरूकुल से अनुक्रम पूर्वक आके ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य अपने वर्णानुकूल सुन्दरलक्षण युक्त कन्या से विवाह करे ।’’

(स० प्र० चतुर्थ समु०)

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