Adhyay : 3 Mantra : 383 Back to listings यदेव तर्पयत्यद्भिः पितॄन्स्नात्वा द्विजोत्तमः । तेनैव कृत्स्नं आप्नोति पितृयज्ञक्रियाफलम् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related