दश पूर्वान्परान्वंश्यानात्मानं चैकविंशकम् । ब्राह्मीपुत्रः सुकृतकृन्मोचयत्येनसः पितॄन्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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