अनुष्णाभिरफेनाभिरद्भिस्तीर्थेन धर्मवित् । शौचेप्सुः सर्वदाचामेदेकान्ते प्रागुदङ्मुखः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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