Adhyay : 2 Mantra : 36 Back to listings अनुष्णाभिरफेनाभिरद्भिस्तीर्थेन धर्मवित् । शौचेप्सुः सर्वदाचामेदेकान्ते प्रागुदङ्मुखः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related