कालशाकं महाशल्काः खङ्गलोहामिषं मधु । आनन्त्यायैव कल्प्यन्ते मुन्यन्नानि च सर्वशः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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