Adhyay : 3 Mantra : 272 Back to listings कालशाकं महाशल्काः खङ्गलोहामिषं मधु । आनन्त्यायैव कल्प्यन्ते मुन्यन्नानि च सर्वशः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related