आच्छाद्य चार्चयित्वा च श्रुतशीलवते स्वयम् । आहूय दानं कन्याया ब्राह्मो धर्मः प्रकीर्तितः ।

कन्या के योग्य सुशील, विद्वान् पुरूष का सत्कार कर के कन्या को वस्त्रादि से अलंकृत करके उत्तम पुरूष को बुला अर्थात् जिसको कन्या ने प्रसन्न भी किया हो उसको कन्या देना वह ‘ब्राह्म विवाह’ कहाता है ।

(सं० वि० विवाह सं०)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *