Adhyay : 3 Mantra : 268 Back to listings द्वौ मासौ मत्स्यमांसेन त्रीन्मासान्हारिणेन तु । औरभ्रेणाथ चतुरः शाकुनेनाथ पञ्च वै Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related