उभयोर्हस्तयोर्मुक्तं यदन्नं उपनीयते । तद्विप्रलुम्पन्त्यसुराः सहसा दुष्टचेतसः ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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