Adhyay : 3 Mantra : 224 Back to listings पाणिभ्यां तूपसंगृह्य स्वयं अन्नस्य वर्धितम् । विप्रान्तिके पितॄन्ध्यायन्शनकैरुपनिक्षिपेत् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related