Adhyay : 3 Mantra : 220 Back to listings ध्रियमाणे तु पितरि पूर्वेषां एव निर्वपेत् । विप्रवद्वापि तं श्राद्धे स्वकं पितरं आशयेत् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related