Adhyay : 3 Mantra : 190 Back to listings केतितस्तु यथान्यायं हव्ये कव्ये द्विजोत्तमः । कथं चिदप्यतिक्रामन्पापः सूकरतां व्रजेत् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related