निमन्त्रितान्हि पितर उपतिष्ठन्ति तान्द्विजान् । वायुवच्चानुगच्छन्ति तथासीनानुपासते ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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