परदारेषु जायेते द्वौ सुतौ कुण्डगोलकौ । पत्यौ जीवति कुण्डः स्यान्मृते भर्तरि गोलकः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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