Adhyay : 3 Mantra : 148 Back to listings मातामहं मातुलं च स्वस्रीयं श्वशुरं गुरुम् । दौहित्रं विट्पतिं बन्धुं ऋत्विग्याज्यौ च भोजयेत् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related