Adhyay : 3 Mantra : 125 Back to listings द्वौ दैवे पितृकार्ये त्रीनेकैकं उभयत्र वा । भोजयेत्सुसमृद्धोऽपि न प्रसज्जेत विस्तरे Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related