अप्रणोद्योऽतिथिः सायं सूर्योढो गृहमेधिना । काले प्राप्तस्त्वकाले वा नास्यानश्नन्गृहे वसेत् ।

गृहस्थी को चाहिए कि सांयकाल सूर्य अस्त होते देख आये हुए अतिथि को वापिस न लौटाये, और चाहे समय पर आये अथवा असमय पर इस गृहस्थी के घर में कोई अतिथि बिना भोजन के नहीं रहे ।

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