. शिशोः बालक का गृहात् निष्क्रमणं घर से बाहर निकालने का ‘निष्क्रमण संस्कार’ चतुर्थे मासि चैथे मास में कत्र्तव्यम् करना चाहिए और अन्नप्राशनम् अन्न खिलाने का संस्कार – ‘अन्नप्राशन’ (षष्ठे मासि) छठे मास में (वा) अथवा यत् कुले इष्टं मंगलम् जब भी परिवार को अभीष्ट अथवा शुभ समय प्रतीत हो, तब करे ।
‘‘निष्क्रमण संस्कार उस को कहते हैं कि जो बालक को घर से जहां का वायुस्थान शुद्ध हो वहां भ्रमण कराना होता है । उसका समय जब अच्छा देखे तभी बालक को बाहर घुमावें अथवा चैथे मास में तो आवश्य भ्रमण करावें ।’’
(सं० वि० निष्क्रमण संस्कार)
‘‘छठे महीने बालक को अन्नप्राशन करावे ।’’
(सं० वि० अन्नप्राशन सं०)