गायत्री – जप का विधान –
अरण्यं गत्वा जंगल में अर्थात् एकान्त देश में जा समाहितः सावधान होके अपां समीपे नियतः जल के समीप स्थित होके नैत्यकं विधिम् आस्थितः नित्यकर्म को करता हुआ सावित्रीम् अपि अधीयीत सावित्री अर्थात् गायत्री मन्त्र का उच्चारण अर्थज्ञान और उसके अनुसार अपने चाल – चलन को करे ।
(स० प्र० तृतीय समु०)