विषयों के सेवन से इच्छाओं की वृद्धि –
यह निश्चय है कि एव कृष्णवत्र्मा हविषा जैसे अग्नि में इन्धन और घी डालने से भूय एव अभिवर्धते अग्नि बढ़ता जाता है कामानां उपभोगेन कामः न जातु शाम्यति वैसे ही कामों के उपभोग से काम शान्त कभी नहीं होता किन्तु बढ़ता ही जाता है । इसलिए मनुष्य को विषयासक्त कभी नहीं होना चाहिए ।
(स० प्र० दशम समु०)