क्यों कि पूजितं अशनम् आदरपूर्वक किया हुआ भोजन नित्यं बलं च ऊर्जं यच्छति सदैव बल और स्फूर्ति देने वाला होता है तु तत् + अपूजितम् और वह अनादर पूर्वक भुक्तम् खाया हुआ इदम् उभयं नाश – येत् इन दोनों बल और स्फूर्ति को नष्ट करता है ।
क्यों कि पूजितं अशनम् आदरपूर्वक किया हुआ भोजन नित्यं बलं च ऊर्जं यच्छति सदैव बल और स्फूर्ति देने वाला होता है तु तत् + अपूजितम् और वह अनादर पूर्वक भुक्तम् खाया हुआ इदम् उभयं नाश – येत् इन दोनों बल और स्फूर्ति को नष्ट करता है ।