नित्यम् प्रतिदिन खाते हुए अशनं पूजयेत् भोज्य पदार्थ का आदर करे च और एतद् + अकुत्सयन् + अद्यात् इसे निन्दाभाव से रहित होकर अर्थात् श्रद्धापूर्वक खाये दृष्ट्वा वा हृष्येत् च प्रसीदेत् भोजन को देखकर मन में उल्लास और प्रसन्नता की भावना करे च तथा सर्वशः प्रतिनन्देत् उसकी सर्वदा प्रशंसा करे ।