भवत्पूर्वं चरेद्भैक्षं उपनीतो द्विजोत्तमः । भवन्मध्यं तु राजन्यो वैश्यस्तु भवदुत्तरम् । ।

उपनीतः द्विजोत्तमः यज्ञोपवीत संस्कार में दीक्षित ब्राह्मण भवत्पूर्वं भैक्षं चरेत् ‘भवत्’ शब्द को वाक्य के पहले जोड़कर, जैसे – ‘भवान् भिक्षां ददातु’ या ‘भवती भिक्षां देहि’ भिक्षा मांगे तु और राजन्यः क्षत्रिय भवत्ध्यम् ‘भवत्’ शब्द को वाक्य के बीच में लगाकर, जैसे – ‘भिक्षां भवान् ददातु’ या ‘भिक्षां भवती देहि’ भिक्षा मांगे तु और वैश्यः वैश्य भवत् + उत्तरम् ‘भवत्’ शब्द को वाक्य के बाद में जोड़कर , जैसे – ‘भिक्षां ददातु भवान्’ या ‘भिक्षां देहि भवती’ भिक्षा मांगे ।

‘‘ब्राह्मण का बालक यदि पुरूष से भिक्षा मांगे तो ‘भवान् भिक्षां ददातु’ और जो स्त्री से मांगे तो ‘भवती भिक्षां ददातु’ और क्षत्रिय का बालक ‘भिक्षां भवान् ददातु और स्त्री से ‘भिक्षां भवती ददातु’, वैश्य का बालक ‘भिक्षां ददातु भवान् और भिक्षां ददातु भवती’ ऐसा वाक्य बोले ।’’

(सं० वि० वेदारम्भ संस्कार)

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