Adhyay : 2 Mantra : 224 Back to listings एवं चरति यो विप्रो ब्रह्मचर्यं अविप्लुतः । स गच्छत्युत्तमस्थानं न चेह जायते पुनः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related