यदि तु यदि ब्रह्मचारी शिष्य गुरोः कुले गुरूकुल में आत्यन्तिकं वासं रोचयेत जीवन – पर्यन्त निवास करना चाहे तो आशरीर – विमोक्षणात् शरीर छूटने पर्यन्त एनम् अपने गुरू की युक्तः परिचरेत् प्रयत्नपूर्वक सेवा करे ।
यदि तु यदि ब्रह्मचारी शिष्य गुरोः कुले गुरूकुल में आत्यन्तिकं वासं रोचयेत जीवन – पर्यन्त निवास करना चाहे तो आशरीर – विमोक्षणात् शरीर छूटने पर्यन्त एनम् अपने गुरू की युक्तः परिचरेत् प्रयत्नपूर्वक सेवा करे ।