Adhyay : 2 Mantra : 207 Back to listings त्रिष्वप्रमाद्यन्नेतेषु त्रीन्लोकान्विजयेद्गृही । दीप्यमानः स्ववपुषा देववद्दिवि मोदते । । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related