त्रिष्वप्रमाद्यन्नेतेषु त्रीन्लोकान्विजयेद्गृही । दीप्यमानः स्ववपुषा देववद्दिवि मोदते । ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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