मुण्डो वा जटिलो वा स्यादथ वा स्याच्छिखाजटः । नैनं ग्रामेऽभिनिम्लोचेत्सूर्यो नाभ्युदियात्क्व चित् । ।

ब्रह्मचारी के लिए केश – सम्बन्धी तीन विकल्प एवं ग्राम निवास का निषेध

ब्रह्मचारी मुण्डः वा जटिलः वा स्यात् चाहे तो सब केश मुंडवाकर रहे चाहे सब केश रखकर रहे अथवा या फिर शिखाजटः केवल शिखा रखकर शेष केश मुंडवाकर स्यात् रहे । एनम् इस ब्रह्मचारी को क्वचित् ग्रामे किसी स्थान में रहते सूर्यः सूर्य न अभिनिम्लोचेत् न तो अस्त हो न अभ्युदियात् न कभी उदय हो अर्थात् प्रमाद के कारण उसके निवास स्थान पर रहते – रहते सूर्य अस्त नहीं होना चाहिए और न ही सोते – सोते सूर्योदय होना चाहिए अपितु उससे पूर्व ही संध्योपासन आदि नित्यकर्मों के लिये वन – प्रदेश में निकल जाना चाहिए

 

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