गोऽश्वोष्ट्रयानप्रासाद प्रस्तरेषु कटेषु च । आसीत गुरुणा सार्धं शिलाफलकनौषु च

गो + अश्व + उष्ट्रयान – प्रासादप्रस्तरेषु बैलगाड़ी, घोड़ागाड़ी, ऊंटगाड़ी पर और महलों अथवा घरों में बिछाये जाने वाले बिछौनों पर च और कटेषु चटाईयों पर च तथा शिला – फलकनौषु पत्थर, तख्ता, नौका पर गुरूणा सार्धं आसीत गुरू के साथ बैठ जाये ।

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