अनेन क्रमयोगेन इसी प्रकार से उपर्युक्त निर्देशों के अनुसार संस्कृतात्मा द्विजः कृतोपनयन द्विज कुमार और ब्रह्मचारिणी कन्या शनैः धीरे – धीरे ब्रह्माधिगमिकं तपः वेदार्थ के ज्ञानरूप उत्तम तप को संचिनुयात् बढ़ाते चले जायें ।
(स० प्र० तृतीय समु०)
(गुरौ वसन्) ………………………………