यः यस्य जो कोई जिस किसी का श्रुतस्य अल्पं वा बहु उपकरोति विद्या पढ़ाकर थोड़ा या अधिक उपकार करता है तम् अपि इह उसको भी इस संसार में तया श्रुतोपक्रियया उस विद्या पढ़ाने के उपकार को गुरू विद्यात् गुरू समझना चाहिए ।
यः यस्य जो कोई जिस किसी का श्रुतस्य अल्पं वा बहु उपकरोति विद्या पढ़ाकर थोड़ा या अधिक उपकार करता है तम् अपि इह उसको भी इस संसार में तया श्रुतोपक्रियया उस विद्या पढ़ाने के उपकार को गुरू विद्यात् गुरू समझना चाहिए ।