कामान्माता पिता चैनं यदुत्पादयतो मिथः । संभूतिं तस्य तां विद्याद्यद्योनावभिजायते

माता च पिता यत् एनं मिथः उत्पादयतः माता और पिता जो इस बालक को मिलकर उत्पन्न करते हैं, वह कामात् सन्तान – प्राप्ति की कामना से करते हैं यत् योनौ अभिजायन्ते वह जो माता के गर्भ से उत्पन्न होता है तस्य तां संभूति विद्यात् उसका वह साधारणरूप से जन्म प्रकट होना मात्र है अर्थात् वास्तविक जन्म तो उपनयन में दीक्षित करके आचार्य ही देता है ।

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