तेषां तु समावेतानां मान्यौ स्नातकपार्थिवौ । राजस्नातकयोश्चैव स्नातको नृपमानभाक्

. तेषाम् तु उन (२।११३) सब के समवेतानाम् एकत्रित होने पर स्नातक – पार्थिवौ मान्यौ स्नातक और राजा सबके सम्मान के योग्य हैं च और राजस्नातकयोः एव राजा तथा स्नातक में भी स्नातकः स्नातक ही नृपमानभाक् राजा के द्वारा सम्मान पाने योग्य है अर्थात् स्नातक – विद्वान् सबसे अधिक सम्मान का पात्र है ।

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