Adhyay : 2 Mantra : 108 Back to listings पितुर्भगिन्यां मातुश्च ज्यायस्यां च स्वसर्यपि । मातृवद्वृत्तिं आतिष्ठेन्माता ताभ्यो गरीयसी । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related