Adhyay : 2 Mantra : 107 Back to listings भ्रातुर्भार्योपसंग्राह्या सवर्णाहन्यहन्यपि । विप्रोष्य तूपसंग्राह्या ज्ञातिसंबन्धियोषितः । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related