आयुष्मान्भव सौम्येति वाच्यो विप्रोऽभिवादने । अकारश्चास्य नाम्नोऽन्ते वाच्यः पूर्वाक्षरः प्लुतः

अभिवादन

अभिवादने अभिवादन का उत्तर देते समय विप्रः द्विज को सौम्य ‘आयुष्मान् भव’ इति वाच्यः ‘हे सौम्य! आयुष्मान् हो’ ऐसा कहना चाहिए च और अस्य नाम्नः अन्ते अकारः पूर्वाक्षरः प्लुतः वाच्यः नमस्कार करने वाले के नाम के अन्तिम अकार आदि स्वर को पहले अक्षर सहित प्लुत की ध्वनि (तीन मात्राओं के समय में) में उच्चारण करे । जैसे – ‘देवदत्त’ नाम में अन्तिम स्वर अकार है, जो ‘त्’ में मिला हुआ है । इस प्रकार ‘त्’ सहित अकार को अर्थात् अन्तिम ‘त’ को ही प्लुत बोले । उदाहरण है – ‘‘आयुष्मान् भव सौम्य देवदत्तः ३’’ अथवा ‘‘आयुष्मान् भव सौम्य देवदत्तः ३’’ ।

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