प्रवृत्तं कर्म संसेव्यं देवानां एति साम्यताम् । निवृत्तं सेवमानस्तु भूतान्यत्येति पञ्च वै

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *