Adhyay : 12 Mantra : 81 Back to listings यादृशेन तु भावेन यद्यत्कर्म निषेवते । तादृशेन शरीरेण तत्तत्फलं उपाश्नुते Leave a comment मनुष्य जैसी अच्छी या बुरी भावना से जैसा अच्छा या बुरा कर्म करता है, वैसे-वैसे ही शरीर पाकर उन कर्मों के फलों को भोगता है । Related