यथा यथा निषेवन्ते विषयान्विषयात्मकाः । तथा तथा कुशलता तेषां तेषूपजायते ।

विषयी स्वभाव के मनुष्य जैसे-जैसे विषयों का सेवन करते जाते है वैसे-वैसे उन विषयों में उनकी आसक्ति अधिक बढती जाती है।

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