Adhyay : 12 Mantra : 65 Back to listings छुच्छुन्दरिः शुभान्गन्धान्पत्रशाकं तु बर्हिणः । श्वावित्कृतान्नं विविधं अकृतान्नं तु शल्यकः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related