इन्द्रियाणां प्रसङ्गेन धर्मस्यासेवनेन च । पापान्संयान्ति संसारानविद्वांसो नराधमाः

जो इन्द्रियों के वश होकर विषयी धर्म को छोड़कर अधर्म करने हारे अविद्वान है वे मनुष्यों में नीच जन्म, बुरे-बुरे दुःखरूप जन्म को पाते हैं ।

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