मन, वचन, शरीर के भेद से तीन प्रकार के कर्मों का सतोगुण, रजोगुण औऱ तमोगुण नामक तीन प्रकार का फल , तथा फिर उनकी उत्तम, मध्यम, अधम भेद से तीन-तीन गतियों वाले सर्वभूतयुक्त सम्पूर्ण संसार की उत्पत्ति का यह पूर्ण वर्णऩ किया ।
मन, वचन, शरीर के भेद से तीन प्रकार के कर्मों का सतोगुण, रजोगुण औऱ तमोगुण नामक तीन प्रकार का फल , तथा फिर उनकी उत्तम, मध्यम, अधम भेद से तीन-तीन गतियों वाले सर्वभूतयुक्त सम्पूर्ण संसार की उत्पत्ति का यह पूर्ण वर्णऩ किया ।