ब्रह्मा विश्वसृजो धर्मो महानव्यक्तं एव च । उत्तमां सात्त्विकीं एतां गतिं आहुर्मनीषिणः

जो उत्तम सत्वगुणयुक्त हो के उत्तम कर्म करते है वे ब्रह्मा=सब वेदों का वेत्ता, विश्वसृज=सब सृष्टिक्रम विद्या को जानकर विविध विमानादि यानों को बनाने हारे, धार्मिक, सर्वोत्तम बुद्धियुक्त और अव्यक्त के जन्म और प्रकृतिवशित्व सिद्धि को प्राप्त होते है ।

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