येन यस्तु गुणेनैषां संसरान्प्रतिपद्यते । तान्समासेन वक्ष्यामि सर्वस्यास्य यथाक्रमम्

’अब जिस-जिस गुण से, जिस-जिस गति को जीव प्राप्त होता है, उस-उस का आगे लिखते हैं—’

इन तीनों गुणों मे जिस गुण से जो मनुष्य जिस सांसारिक गति को प्राप्त करता है उन सबको समस्त  संसार के क्रम से, संक्षेप से कहूँगा-

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