Adhyay : 12 Mantra : 121 Back to listings मनसीन्दुं दिशः श्रोत्रे क्रान्ते विष्णुं बले हरम् । वाच्यग्निं मित्रं उत्सर्गे प्रजने च प्रजापतिम् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related