खं संनिवेशयेत्खेषु चेष्टनस्पर्शनेऽनिलम् । पक्तिदृष्ट्योः परं तेजः स्नेहेऽपो गां च मूर्तिषु

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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