प्रत्यक्षं चानुमानं च शास्त्रं च विविधागमम् । त्रयं सुविदितं कार्यं धर्मशुद्धिं अभीप्सता ।

धर्म के तत्व को जानने के अभिलाषी मनुष्य को प्रत्यक्ष, अनुमान और विविध वेदमूलक शास्त्र, इन तीनों का अच्छी प्रकार ज्ञान प्राप्त करना चाहिये ।

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